किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है दोस्तों-" मुझे छांव में रखा, खुद जलता रहा धुप में, मैंने देखा है एक फरिश्ता, मेरे पिता के रूप में।।
इसे के संबंध में एक छोटी सी कहानी लेकर आया हूं ,उम्मीद करता हूं कि आपको पसंद आएगी।
एक लड़का इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। उस लड़के की एक ही इच्छा थी कि पिताजी उसे एक बाइक दिला दे। पिताजी बेटे से अक्सर कहा करते थे -"बेटा अच्छे से पढ़ाई कर लो ,फोकस करो ।"
लड़के ने एक दिन पिता जी से कह ही डाला कि-" पिताजी, मेरे हर दोस्तों के पास बाइक है, वह सब कॉलेज बाइक से जाते हैं। मुझे भी बाइक चाहिए। पिताजी ने कहा -"बेटे अभी तो बाइक खरीदने के लिए पैसे नहीं है, तुम पढ़ाई पर ध्यान दो सिर्फ।
लड़का घर के दरवाजे से बड़बड़ाते हुए चला गया और कहने लगा कि मेरे पिताजी ऐसे हैं, वैसे हैं, एक बाइक ही तो मांगी थी !एक बाइक भी नहीं दिला सके।
अगले दिन लड़के ने फिर कहा-" पिताजी मुझे एक बाइक चाहिए"।
पिताजी ने गुस्से में कह दिया -"तुम्हें पता नहीं, मैं घर- द्वार कैसे चला रहा हूं ? कितना कर्ज है मुझ पर, खाली बाइक..... बाइक करते रहता है ।
यह सब सुनने के बाद लड़का गुस्सा हो कर चला गया और वह सोच लिया कि अब मुझे इस घर में नहीं रहना। मेरी कोई विश पूरी नहीं होती इस घर में...।
वह गुस्से में घर आया और एक बैग लेकर जाने लगा ।जाते वक्त लड़के ने पिताजी का पर्स देखा ,जो बेड़ पर रखा था। लड़के ने पर्स को पैकेट में भरा और जल्दबाजी में पिताजी के जूते पहन लिए।
कुछ दूर जाने के बाद ध्यान आया कि उसने पिताजी के जूते पहने हैं। लड़के ने जूते वही खोल के फेंक दिए और नंगे पांव चलता रहा ।
कुछ दूर जाने के बाद, उसके पैर में एक शीशा का टुकड़ा चुभ गया और उसके पांव से खून निकलने लगा। फिर भी वह गुस्से में चलता रहा। कुछ दूर जाने के बाद उसके पांव से काफी खून बहने लगा।
उसने सोचा अस्पताल जाकर इलाज करा लो। पिताजी का पर्स मेरे पास है ही, खूब माल छुपा रखें होंगे।
उसने पर्स निकाला और देखा तो वह चौक गया ।उस पर मात्र एक सौ के एक नोट रखा था और बहुत से कागज के टुकड़े थे। वह गुस्से में कहने लगे-" कंजूस पिताजी कहीं की... कुछ भी ।
कुछ क्षण के बाद उसने सोचा, देखता हूं इन सब कागज पर क्या लिखा है ।
उसने पहला कागज का टुकड़ा निकाला और पढ़ा -"उसमें लिखा था कि मुझे ₹40000 चुकाने है,जो मैंने अपनी बेटे के लिए लैपटॉप खरीदी थी।
अगला कागज का टुकड़ा निकाला उस पर लिखा था मुझे ₹100000 अपने दोस्त को देने हैं,जो अपने बेटे के एडमिशन के लिए मांगे थे। इसी तरह उसने सभी कागज के टुकड़े को पढ़ा ।सब में कर्ज चुकाने के बारे में लिखा था और जिम्मेदारियों के बारे में ।
वह लड़का यह सब देख कर रोने लगा। उसे समझ में आ गया कि मेरे जिद ने मेरे पिताजी को कहां पर लाकर खड़ा कर दिया है ।
लड़का दौड़ता हुआ घर वापस लौटा ।पिताजी घर पर नहीं थे। उसे याद आया कि पिताजी मार्केट गए हुए। लड़का दौड़ता हुआ मार्केट गया और पिताजी को गले से लगा लिया और रो-रोकर सॉरी ... साॅरी...कहने लगा। पिताजी ने कहा -"क्या हुआ बेटे ,क्यों रो रहे हो?
लड़का शांत होकर देखा तो पिताजी अपनी पुरानी स्कूटी को बेचकर , बेटे के लिए बाइक खरीद रहे थे। लड़का ने यह देखा तो कहने लगा, पिताजी यह आप क्या कर रहे हैं। आप अपनी स्कूटी बेच रहे हैं। हमारे पास बचपन की एक यही तो यादगार चीज है ।आप अगर इसे बेच देंगे ,तो ऑफिस कैसे जाएंगे।
लड़के ने कहा -"मुझे कोई बाइक नहीं चाहिए ,मुझे सिर्फ आप चाहिए ।मैं वादा करता हूं कि अब मैं मन लगाकर पढ़ाई करूंगा और पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बनूंगा और आपका सारा कर्जा चुका दूंगा ।चलिए ,घर चलिएऔर दोनों बाप- बेटे घर आ गए।