रामदीन नाम का एक व्यक्ति अपने जीवन से बेहद परेशान हो गया था । उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता था । चाहे व्यवसाय हो या नौकरी, वह कहीं भी महीने भर से ज्यादा नहीं था। परिवार में सभी उससे नाराज रहते। उसकी पत्नी उसे छोड़ कर मायके चली गई थी।विश्वास की महिमा
एक दिन वह एक संत के पास गया और बोला, " महाराज ! मेरा किसी भी काम में मन नहीं लगता। मुझे अपना जीवन निरर्थक लगने लगा है।"
संत ने कहा ,"तुम्हें अपना जीवन निरर्थक इसलिए लगता है क्योंकि तुम कोई भी काम मन लगाकर नहीं करते हो। यदि तुम अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लो कि जो काम तुमने अपने हाथ में लिया है , उसे हर हाल में एक निश्चित समय पर पूरा करना ही है तो तुम्हारी यह समस्या स्वत: सुलक्ष जाएगी । जब भी तुम्हारा मन उकताने लगे, तुम मन ही मन यह दोहराओ की यदि विश्वास हो तो मुश्किल से मुश्किल काम को ही हल किया जा सकता है । धीरे-धीरे तुम यह करके देखो सब ठीक हो जाएगा "
रामदीन संत की यह बात सुनकर वापस आ गया और उसी दिन से उसने कपड़ों पर कढ़ाई का काम शुरू कर दिया । उसने पहले भी यह काम किया था , किंतु मन ना लगने के कारण छोड़ दिया था। इस बार रामदीन का मन जब भी उखड़ता तो वह मन ही मन यह दोहराता कि यदि विश्वास हो तो मुश्किल से मुश्किल काम को भी हल किया जा सकता है। इस प्रकार ऐसा बोलते-बोलते उसने कपड़ों की सुंदर कढ़ाई की। कपड़ा बाजार में अच्छी कीमत पर बिक गया। इससे रामदेव का आत्मविश्वास प्रबल हो गया और धीरे-धीरे वह मन लगाकर काम करना सीख गया।
एक ही साल में उसका व्यवसाय बहुत बढ़ गया और उसका काफी नाम भी हो गया । उसकी रूठी पत्नी घर पर लौट आई और परिवार के साथ-साथ अन्य लोग भी उसके साथ इज्जत से पेश आने लगी।