भ्रम में मत रहो कि कहीं सोना है..
एक बार की बात है। एक राजा अपनी मंत्री और अन्य सिपाही के साथ शिकार के लिए वन में गए। शिकार ना मिलने के कारण राजा अपने दल बल सहित घोड़े दौड़ाते हुए एक सुरम्य घाटी में आए ।घाटी में तरह-तरह के रंग बिरंगे फूल खिले थे। राजा को यह दृश्यावली भा गयी। उन्होंने अपने दलबल सहित वहीं डेरा डाल दिया।
अभी सुबह-सुबह होने को थी कि राजा के कानों में पक्षियों की मधुर आवाजें रस घोलने लगीं। राजा ने अपने तंबू से बाहर झांका। पूर्व दिशा में सूर्योदय से पहले फैली लाली की छटा देखकर राजा प्रकृति की इस लीला पर मोहित हो हुए बिना नहीं रहे। थोड़ी ही देर में सूर्य उदय हो गया । घाटी में धूप फैल गई। राजा ने अचानक पश्चिम दिशा में क्या देखा कि दूर एक सोने का पहाड़ है जो सोने की चमक के समान ही चम-चम चमक रहा है। वाह! राजा के मुंह से अनायास ही निकला। यहां तो पहाड़ ही सोने का है। हमारे राज्य में तो सोने देखने को भी लोग तरस जाते हैं ।यहां पर तो इतना सोना है कि कोई उठाने वाला भी दिखाई नहीं देता। ऐसा सोचकर राजा ने अपने मंत्री और अन्य सिपाही को बुलाकर सोने का पहाड़ दिखाया और उन्हें आदेश दिया कि जितना ज्यादा हो उतना सोना घोड़ो पर लाद अपने राज्य को लौट चलें।
मंत्री ने भी सोने का पहाड़ देखा किंतु उसे विश्वास नहीं हुआ । वह अपनी शंका राजा को बताना चाहता था किंतु राजा के स्वर्ण प्राप्ति के उत्साह को देखकर कुछ बोलने का उसका साहस नहीं हुआ । राजा आगे-आगे घोड़े पर सवार होकर चला । उसके पीछे मंत्री और अन्य सैनिक अपने-अपने घोड़ों पर चले। कुछ देर घोड़े दौड़ने के बाद जल्द ही वे पहाड़ की तलहटी में आ गए। वह पहाड़ भी दूसरे पहाड़ जैसा था। कोई नई बात नहीं थी । राजा ने कहा , "सब लोग घोड़े सहित पहाड़ पर चढ़ चलो, सोना ऊपर है । मैंने पहाड़ की चोटी सोने की देखी है । यहां ठीक पहाड़ के नीचे चोटी दिखाई नहीं दे रही है।"
घोड़े ऊपर चढ़ चले । काफी ऊंचाई तक जाने के बाद पहाड़ पर यत्र तत्र बर्फ मिलनी शुरू हो गई। यहां आकर घोड़ो ने और ऊपर चढ़ने से इंकार कर दिया। राजा ने सभी घोड़ों को वहीं छोड़ने का आदेश दिया। फिर वे लोग पैदल ही ऊपर चढ़ने लगे । ऊपर पहाड़ पर बर्फ ही बर्फ थी। जैसे -जैसे ऊंचाई पर जाते थे ,चट्टान की भांति जमी हुई बर्फ दिखाई देती थी ।राजा अपने आदमियों के साथ पहाड़ की चोटी पर पहुंच गया। वहां सिर्फ बर्फ थी। सोने का नामोनिशान ना था।
चारों और बर्फ देखकर राजा निराश हो गया। तब मंत्री ने समझाया , "महाराज ! मुझे तो पहले ही शंका थी किंतु आप का उत्साह देख मैं कुछ बोला नहीं । कहीं सोने का भी पहाड़ होता है! वह तो बर्फ पर सूर्य की रोशनी गिरकर प्रतिबिंबित हो रही थी ।इसी चमक को आप सोना समझ बैठे ।"
राजा ने मंत्री की बात सुनी ।उसे समझ आ गया कि सोने के पहाड़ नहीं होते।