वहां कई लोग खड़े थे ।वे यह देखकर हैरान रह गए कि एक दुबला-पतला व्यक्ति भीमकायक्षशरीर वाले बदमाश को ललकार रहा है। बदमाश विद्यार्थी जी की ओर लपका तो वह उसे दुत्कारते हुए बोले, "तुम्हें शर्म नहीं आती? दुकान का माल क्या मुफ्त है ? इतनी तगड़े होकर भी सेवा या मदद तो नहीं कर रहे , उल्टे दूसरे को लूट रहे हो।"
बदमाश यह सुनकर शर्म से गड़ गया और सारा सामान छोड़कर वहां से चंपत हो गया ।उसके जाने के बाद लोग विद्यार्थी जी से बोले, " वह व्यक्ति आपसे तगड़ा था, आपको उससे डर नहीं लगा?"
विद्यार्थी जी बोले, " वह तगड़ा कहां था? सिर्फ शरीर के तगड़े को मैं तगड़ा नहीं मानता। मन से वह दुर्बल था, तभी तो गलत काम कर रहा था। गलत काम करने वाला शरीर से भले ही मजबूत हो, मन से बहुत कमजोर होता है।"
विद्यार्थी जी की इस बात पर वहां उपस्थित सभी लोग शर्मिंदा हो गए।