एक परिवार अपने एकलौते बेटे का चौथा जन्म दिन मनाने के लिए वो शहर गए थे ।
( वो हजारीबाग के छोटे से प्रखण्ड विष्णुगढ के रहने वाले हैं ।उनके परिवार में तीन लोग हैं -: पहला पिता, दूसरा माता और तीसरा उनका प्यारा बेटा कार्तिक, जो किसी ईश्वर की दिई गई भेट से कम नहीं है।)
उनका यह छोटा सा खुशहाल परिवार विष्णुगढ में खुशी से जिदंगी बीता रहे थे ।
परन्तु नियति भी इंसान के साथ तरह-तरह की खेल खेलती रहती है ।उन्हे क्या पता था कि आज वापस लौटते समय उनका एक्सीडेंट हो जाएगा ।
हुआ यूँ कि वो अपने बच्चे का जन्मदिन मना के घर की और लौट रहे थे ।"30 किलोमीटर कि सफर था-हजारीबाग से उनकी घर तक की। पूरा सङक खाली था।
,,उस सङक में केवल तीन चीजों की आवाज आ रही थी।
'धर्मेन्द्र मिश्र, उसकी पत्नी ज्योति मिश्र और बाइक और हवा की सन- सन-सन आवाजे कानों में सुनाई दे रही थी ।
( धर्मेन्द्र मिश्र, ज्योति मिश्र कार्तिक के माता-पिता है।)
दोनो बात करते हुए जा रहे थे ,कार्तिक माँ की गोद में सोया हुआ था ।
पत्नी ने कहा -"आज का दिन कितना अच्छा बीता ना? "
"हाँ, तुम सही कह रही हो।"और ये सारी खुशियाँ हमारे बेटे कार्तिक के कारण हुआ है। फिर वो थोड़ा भावक हो के कहते है -" कितने साल हो गए थे हमारे शादी हुए? 8 साल के बाद हमारा एक बेटा हुआ है,,,,,,खुशियाँ तो अपने आप होनी थी।"
ऐसे ही प्यार की बाते करते हुए वे जा रहे थे ।
उसी रोड़ के आगे की और से एक कार में चार दोस्त आ रहे थे ।वे चारों दोस्त एक पार्टी में गए हुए थे । वे बहुत ज्यादा पी रखी थी और एफम के रेडियो का गाना सुनते, नाचते, मौज करते हुए आ रहे थे ।" शायद सड़क पूरा खाली होने की वजह से सन्नी गाड़ी को बहुत तेजी से चला रहा था।
( लगभग गाड़ी की स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा रहा होगा, ये मेरा अनुमान कह रहा है।)
एक दोस्त ने कहा -" देख सन्नी यार ! इतनी तेजी से गाड़ी मत चला, कुछ हो जाएगा ।
सन्नी ने कहा -"यार'॰॰॰॰॰तू डरता बहुत है।भला इतनी रात को इस सूनसान सड़क में कौन आ रहा होगा ,चल अब चुप रहो और हम सबको मजा लेने दो।"
तीसरे चौथे ने कहा -हाँ बे ॰॰॰तू सही कह रहा है, और तेज चला,,,,,कोई नहीं आता होगा ।
उसका एक दोस्त बार बार॰॰कह रहा था,"यार धीरे-धीरे चलावो।लेकिन उनके दोस्त मानने वालों मे से कहा थे।
कुछ समय बाद, अचानक उसकी कार एक बाइक से टकरा गई ।चारों दोस्त जल्दबाजी से कार से उतरी ,तो देखा एक आदमी सडक मे लेटा पडा है ,सामने जाकर देखा तो पाया कि उसके माथे से बहुत तेजी से खून बह रहा था।और वो कुछ कह रहा था, कह रहा था ज्यो॰॰॰॰ज्यो ज्योति, बेटा ।इतना कहते हुए उसने अपने आखें बंद कर ली।
वेलोग बहुत डर गए थे ,पूरा माथे से पसीना निकल रहा था।वे समझ नही पा रहे हम क्या करें।
संजय ने गुस्से और रोते हुए कहा -"मैं कह रहा था गाड़ी धीरे चलावो॰॰॰॰गाड़ी धीरे चला।"पर तुम सब ने मेरी बात नही सुनी।अब देखो क्या हो गया है!!!!॰॰॰अब हम क्या करे?
वह बहुत रो रहा था।वह एक साधारण घर का लडका था ।वह सिसकी ले लेकर रो रहा था और सोच रहा रहा था, अब मेरा परिवार का क्या होगा ! वह बहुत ही घबरा चुका था ,उसका दिमाग काम करना बंद हो गया था ।
एक दोस्त ने उसे किसी तरह से चुप कराया और कहा -"चिंता मत करो, हमे कुछ भी नहीं होगा ।
: दूसरी तरफ सन्नी और राहुल अपने फोन का टोर्च जलाया और चारों तरफ देखने लगे ।आस -पास, इधर-उधर जा के देखा क्यों नहीं था।
लेकिन रोड़ के दाहिनी ओर पत्तो के ढेर पर लेटी पड़ी महिला पर पड़ा ।उसके माथे से थोड़ी सी खून बह रही थी और बेहोश लेटी हुई थी ।उसके छाती पर एक बच्चा यँउ॰॰
यँउ॰॰करके रो रहा था ।(बच्चा बहुत छोटा था तो वो समझ नहीं रहा था क्या हुआ है ।)
सब बहुत घबराए हुए थे ।किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें।
संजय रोते हुए कहा -"हम पुलिस को काँल करते है और उन्हें हम पूरी सचाई बता देंगे -॰॰॰॰हम कह देगे हमने जान बुझ कर नहीं किया है ।और शायद पुलिस हमे छोड़ दे।"
राहुल और एक दोस्त ने कहा -"तुम ठीक कह रहे हो, हमे काँल कर देना चाहिए ।"
परन्तु सन्नी ने कहा -"तुम सब पागल तो नहीं हो गए हो, अगर हमने पुलिस को इन्फर्मे किया तो हम सबको सीधा जेल मे डाल देगी ।" ,इससे अच्छा मेरे पास एक प्लान है; जिससे हम सब बच सकते है।और किसी को भी जेल जानी की भी जरूरत नही पडेगी।
तुम क्या कहना चाहते हो ।"
"सुनो , चारों तरफ कोई नहीं है और हमे कोई देख भी नहीं रहा है। इस व्यक्ति को यहीं छोड़ देते है ;;;और इस महिला इस बच्चे को यहँ से दो किमी॰ आगे काली मंदिर है ,इन्हे वहाँ छोड़ देते है ।
"भला किसी को कैसे पता चलेगा कि यह एक्सीडेंट हमसे हुआ है? और सब दोस्तो ने मिलकर यही किया । उस महिला और बच्चे को काली मंदिर में छोड़ दिया । और सब दोस्त वहाँ से चले गए ।
जब सुबह मंदिर खुला तो पुजारी महिला और बच्चे को देखा।महिला के ऊपर पुजारी जी ने पानी छिड़का।महिला को जब होश आया तो वो खुद को वहाँ आश्चर्य हो गई और कहा-"मेरा बच्चा कहाँ है ? पुजारीजी की गोद में आपना बच्चा देखकर खुश हो गई ।" मेरा बच्चा ठीक तो है !
हाँ ,हाँ तुम्हारा बच्चा ठीक है, ये लो। परन्तु बेटी ,तुम यहाँ कब से हो।
ज्योति मिश्र को रात की सारी बात याद आ गया ।वह अपने बच्चे को लिए सड़क की अर तेजी सी भागी।
वहाँ पहुँच के देखी तो पुलिस खडी थी।
पुलिस एक लाश को वेन में लाद रही थी।वह लाश किसी ओर का नहीं ,उसके पति का था।पति की लाश देखकर मानो इसकी जिदगी मे अन्धकार छा गया हो।वह बहुत रो रही थी।
एक कॉन्स्टेबल ने महिला को लाश से दूर किई और वेन के थूरूह उसे ले जाया गया ।इसकी पूरी तरह से जांच की जाएगी और कातिल को जल्द से जल्द पकडा जाएगा, विश्वास रखये!!!!!हमपर।