" किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है कि कर्मों का परिणाम हमें वैसे ही ढूंढ लेता है जैसे कि एक बछड़ा खो जाने पर, सैकड़ों गायों में वह अपनी मां को ढूंढ लेता है।"
नमस्कार दोस्तों.... आज एक पुनः नई कहानी लेकर प्रस्तुत हूं।
यह कहानी है एक शिकारी की। जो शिकार करने में पारंगत हो चुका था। जब भी जंगल में जाता था...वह कभी भी खाली हाथ वापस नहीं आता ।उसका यह रिकॉर्ड था । इतना कमाल का शिकारी था कि बस किसी जानवर की सरसराहट या पत्तियों की सरसराहट आ जाए तो समझ जाता था कि जानवर वहां है। वह शिकारी बिना निशाना साधे तीर चलाता और जानवर को ढेर कर देता।
उसे लगा कि अब मेरी उम्र हो चली है । तो वो अपने बच्चे को भी ट्रेनिंग देने लगा। वह अपने बच्चे को भी अच्छा शिकारी बनाना चाहता था। बच्चे को जंगल में ले जाता और बताता कि ऐसे शिकार करना है.... वैसे शिकार करना है और तरह-तरह की टिप्स देता।
छोटा बच्चा अपने पापा से बड़ा इंप्रेस होता था। मां को आकर बताता कि पापा तो जंगल में सिर्फ आवाज सुनकर तीर चला देते हैं....। इतने कमाल की शिकारी है...!
एक दिन यह शिकारी अपने बच्चे को घर में ही छोड़कर... अकेला ही निकल गया, जंगल मे.., शिकार के लिए..। उस दिन हल्की हल्की बारिश हुई थी। सुहाना मौसम था..। प्राकृतिक सौंदर्य सा..... लेकिन इस शिकारी को प्राकृतिक से क्या..? सुंदरता से क्या..? शिकारी को तो बस शिकार करना था। इसने जंगल में देखा कि हिरणी का छोटा बच्चा ...बड़ा सुंदर..! कोई भी देख ले तो मंत्रमुग्ध हो जाए।
लेकिन ये शिकारी मंत्रमुग्ध होने वालों में से नहीं था। उसने तीर चलाया और उस छोटे बच्चे को ढेर कर दिया। वह तड़पकर नीचे जमीन पर गिर पड़ा और दम तोड़ने लगा। तभी कुछ सेकेंड में उसकी मां दौड़कर आई ।वह अपने बच्चे के घाव को चाटने लगी । उसे मालूम था कि शिकारी दूर खड़ा है, लेकिन उसे शिकारी का डर नहीं था। वह अपने बच्चे की जान बचाना चाहती थी।
शिकारी ने देखा कि एक और शिकार करने का मौका है । एक वक्त पर दो शिकार करने का मौका.......। शिकारी खुश हुआ। उसने एक ओर तीर चलाया और वो मां जो अपने बच्चे को बचाने की कोशिश में लगी थी... उसे भी वह मार दिया।
अचानक से शिकारी को एक ओर आवाज सुनाई दी ।एक झाड़ी में उसे सरसराहट की आवाज सुनाई दी। उसे लगा कि एक ओर हिरण है ।उसे लगा कि दो शिकार थे...पर आज तो 3 शिकार लेकर जाऊंगा।
उसकी आदत थी.... ज्यादा ध्यान नहीं दिया और तीर चला दिया। तीर जाकर लग भी गया निशाने पर। आवाज दर्द की आई... कराने की आई...।
लेकिन वो आवाज किसी जानवर की नहीं थी बल्कि किसी इंसान की थी। शिकारी दौड़ कर उस दिशा में गया और जाकर देखता है कि वहां उसका अपना बच्चा जमीन पर मरा हुआ पड़ा था।
वह छोटा बच्चा जो अपने पापा को खोजते खोजते जंगल में आ गया था । शिकारी को जो कला आती थी... उसी कला की वजह से .... उस छोटे बच्चे की .... अपने ही बच्चे की जान ले लिई थी। शिकारी सन्न रह गया।
अचानक उसे एक और आवाज सुनाई दी और वो आवाज यह कह रही थी कि मालूम चला...! क्या होता है जब अपने आप आंखों के सामने दम तोड़ देता है...।
थोड़ी देर पहले उसी शिकारी ने हिरण के बच्चे को मारने के बाद उसकी मां को भी मार दिया था और अब उसके आंखों के सामने उसका बच्चा दम तोड़ चुका था। तभी उसे एक और सरसराहट की आवाज सुनाई दी ....झाड़ियों के पीछे से...। लेकिन अबकी बार हिरण नहीं था। अबकी बार बाघ था। उसने आकर सीधा शिकारी पर आक्रमण किया और शिकारी को मार दिया।
कहानी छोटी सी है। लेकिन यह कहानी हमें सिखाती है कि कर्मों का परिणाम..... जो हमारे कर्म है....... बचपन से सुनते आ रहे हैं...... अच्छा करेंगे , अच्छा मिलेगा... बुरा करेंगे बुरा मिलेगा।
ये जो कर्मों के परिणाम है वैसे ही हमें ढूंढ लेते हैं, जैसे कि जब एक बछड़ा खो जाता है तो सैकड़ों गायों में वह अपनी मां को ढूंढ लेता है....।