किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है कि जीवन के रण में खुद ही कृष्ण और खुद ही अर्जुन बनना पड़ता है। रोज अपना ही सारथी बनकर जिंदगी के महाभारत से लड़ना पड़ता है...।
इसी के साथ नमस्कार दोस्तों....! आज पुनः एक नई कहानी लेकर आया हूं जो पिछली कहानी के तरह कुछ और नया सीख देगी।।
यह कहानी है एक बिजनेसमैन की। जो अपने व्यापार को लेकर काफी चिंता क्या करते थे.. कि क्या होगा आने वाले कल में ? कैसे काम होगा? मेरा व्यापार को मेरा बच्चा संभाल पाएगा कि नहीं? ऐसे चिंताएं भरे सवाल उसके मन में उठते रहते थे..।
बिजनेसमैन का एक बेटा था । उनका बेटा उससे काफी बार कहता था कि-" पापा मुझे मौका दो..! मुझे भी बिजनेस करना आ गया है । मुझे भी एक बार संभालने दो ...। पर बिजनेसमैन कभी भी अपने बेटे को मौका नहीं देता था। एक बार बिजनेसमैन को दिल का दौरा पड़ा ।हार्ट अटैक आने की वजह से उसके पिता अस्पताल में भर्ती थे। बेटे को पता चला कि पिताजी अस्पताल में भर्ती हैं तो लड़का वहां दौड़कर पहुंचा। लड़का ने डॉक्टर से पूछा -"कैसे हैं मेरे पिताजी "...?डॉक्टर ने कहा -"अब थोड़ा पहले से ठीक है ।मैं कुछ दवाइयां लिख रहा हूं। उसे प्रॉपर देते रहना। धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे।
पिताजी के अस्पताल में भर्ती होने की वजह से लड़के ने अपने दोस्त को कॉल किया और कहा -"कहां है भाई ? मेरे पिताजी अस्पताल में भर्ती है जल्दी आ जा"।
कुछ देर में दोस्त आ गया और पूछा -" क्या हुआ तुम्हारे पिताजी को.."?
लड़के ने सारी बात बता दी कि पापा को दिल का दौरा पड़ा है।
कुछ समय के बाद लड़के ने कहा-" चल कुछ देर के लिए बाहर चलते हैं ...बहुत देर से अस्पताल में है"। दोनों अस्पताल से बाहर निकले हैं तो उसे एक आइसक्रीम वाला दिखाई दिया। लड़के ने कहा-" चल ना आइसक्रीम खाते हैं"? उसका दोस्त चौक गया ।क्या पागलपन है ..!पापा अस्पताल में भर्ती है और इसे आइसक्रीम खाने की पड़ी है।
लड़के ने आइसक्रीम खरीदी और खाने लगा । तो उसके दोस्त से रहा नहीं गया और पूछ लिया कि -"भाई समझ में नहीं आ रहा है ... आने वाले कल में तुम्हारा क्या होगा । तेरा बिजनेस का क्या होगा ! तेरे पापा अस्पताल में भर्ती है ..!अब तुम्हारा व्यापार को कौन संभालेगा और तू यहां आइसक्रीम खा रहा है।
लड़के ने कुछ देर सोचा और कहा -"तू सोच रहा होगा कि मेरे पिताजी अस्पताल में भर्ती है और मैं आइसक्रीम खा रहा हूं ...पर ऐसा नहीं है । मैं भगवान श्री कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त हूं। उनकी दो बातें हमेशा जिंदगी में याद रखता हूं ।
पहली बात ... हम सबको मालूम है कि कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो।... जो होगा देखा जाएगा... मैं अपने काम पर ध्यान लगाऊंगा। बिजनेस भी अच्छा चलेगा ।
और दूसरी बात ..मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं । तुम्हें समझ में आ जाएगा..। लड़के ने सुनाना शुरू किया।
भगवान श्री कृष्ण की पत्नी थी रुक्मणी। विवाह के बाद उनका एक बेटा हुआ। जिसका नाम प्रदुमन था। प्रदुमन के जन्म के दस दिन बाद ही उसका अपहरण हो गया। रुक्मणी के बेटे का अपहरण होने की वजह से वह उदास रहने लगी । भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी से कहा -"चिंता मत करो। प्रदुमन ठीक होगा ,वह जहां भी होगा".... तुम सिर्फ स्वस्थ रहा करो"। इसी चिंता में रुक्मणी के साल बीतते गए। अठारह साल के बाद प्रदुमन की वापसी हुई । और जब प्रदुमन द्वारिका वापस आए , तो उनके साथ में उनकी पत्नी मायावती थी। समस्या ये थी कि मायावती की उम्र 20 साल बड़ी थी प्रदुमन से..।
रुकमणी पहले तो खुश हुई कि बच्चा घर वापस आ गया और फिर दु:खी हुई। इतनी बड़ी लड़की से शादी करके घर लाया है ।रुकमणी भगवान श्री कृष्ण के पास गई और कहने लगी-" यह क्या हो गया"?
श्री कृष्ण ने कहा -"जो हो गया है उसे स्वीकार कर लो। चिंता मत करो "!!!
लेकिन रुकमणी कह रही थी कि बड़ी लड़की से शादी कर ली। यही मिली थी..! और कोई नहीं मिली ? और पता नहीं रुकमणी क्या-क्या बड-बडाते जा रही थी। रुक्मणी स्वीकार नहीं कर पा रही थी । और वह दु:खी हुए जा रही थी।
एक साल, दो साल, तीन साल , धीरे-धीरे समय बीत रहा था। लेकिन रुकमणी के अंदर ही अंदर यह बात उनको परेशान करती जा रही थी कि मेरा बेटा किस लड़की से शादी कर लिया।''
आठ साल के बाद रुक्मणी ने स्वीकार कर लिया कि प्रदुमन ने जो शादी किया है वह ठीक है । ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। तब उसे एहसास हुआ कि मैंने जिंदगी के 26 साल सिर्फ चिंता में बिता दिया।
यह कहानी खत्म होने के साथ उस लड़के ने कहा-" भाई, मैंने भी जिंदगी में स्वीकार करना सीख लिया। क्योंकि भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जो हो रहा है , उसे होने दो। उसे स्वीकार कर लो । जिंदगी खुद-ब-खुद सहज रूप से चलने लगेगी।