उधर से चार दोस्त की आवाज आई। जैसे ही चार दोस्त चिल्लायें हास्टल के सारे बच्चे उठ गए।
उधर से एक भैया ने जोर से चिल्लाया- " भोसड़ी के कौन इतनी रात को चिल्लाता है।"
गौतम ने धीरे से कहा-"भैया सचिन का आज जन्मदिन है "। उसी को विश करना है। दरअसल हमारे यहां बर्थडे सेलिब्रेट करने का एक अलग ही रिवाज है। जिस बच्चे का जन्मदिन होता है , उसे रात के 12 बजकर एक मिनट में उसकी खूब पिटाई होती है। जो जितना मुक्का मार सके । कभी-कभी तो जिस बच्चे का जन्मदिन होता है वह रो भी जाता है । लेकिन हमारे यहां खुशियों को सेलिब्रेट करने का यही रिवाज है। बर्थडे बॉय की पिटाई हो जाने के बाद बच्चे खूब चिल्लाते हैं। उट-पटांग गाना गाते हैं । और जमकर हेरा फेरी होती है । हेरा फेरी का मतलब , किसी भी कंबल से किसी भी लड़के को ढाककर पीटना। यही हमारे हॉस्टल का बर्थडे डे रिवाज है।
उस दिन भी ऐसा ही हुआ। सचिन की पिटाई और हैप्पी बर्थडे .... विश हो जाने के बाद,, संत कुमार हमारी ही कक्षा का एक छात्र है जिसका घर हॉस्टल से 100 मीटर ही दूर है। किसी भी सेलिब्रेशंस में छोटा सा मिनी डीजे बॉक्स लाने का काम उसी का रहता था। ताकि सभी लड़के रात को डांस कर सके।
जब सारे लड़के थक जाते थे , तो सब सो जाते थे । सभी को सोते-सोते दो या साडे 2:00 बजे ही जाते थे । जिसके कारण सुबह की 6:30 बजे रिपोर्टिंग में लेट हो जाता था । और हम अपने शिक्षक से खूब गालियां सुनते थे।पर शिक्षक के डेट का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। क्योंकि रात का मस्ती सुबह तक नहीं उतरता था।
फिर हमारा छात्र जीवन का वही दिनचर्या सुबह 8:30 बजे Assembly करना और फिर 1:30 तक क्लास करना।
लेकिन बर्थडे के दिन एसेंबली कुछ अलग होती थी। उस दिन का एसेंबली हमारी पूरी दिनचर्या को बेहतर बना देता था। क्योंकि उस दिन एसेंबली में प्राचार्य महोदय के द्वारा बर्थडे बॉय को तरह-तरह के गिफ्ट दिए जाते थे। गिफ्ट कुछ खास बड़ी नहीं होती थी....। लेकिन बर्थडे बॉय के लिए वह गिफ्ट सोने से कम नहीं होता था। कभी किसी के बर्थडे में किसी छात्रा द्वारा अपने हाथों से बनाए ग्रीटिंग कार्ड,गुलाब का फूल, गुलदस्ता आदि चीज दी जाती थी। उसके बाद एसेंबली में छात्राओं द्वारा जो गीत गाई जाती थी, उसे सुनकर दिल खुश हो जाता था।
उस गीत के दो लाइन में आपको सुनाना चाहता हूं....
जुग जुग जियो सुल्ल....ना वा के भाग जागल रे.....
हो ललना लाल हु...वे.....।
हर बर्थडे में यह गीत असेंबली में जरूर बसता था। उसके बाद जिस बच्चे का बर्थडे होता है। वह क्लास में चॉकलेट , केक या केक काटता है। फिर रात को हाउस में मिच्चर निमिकी की पार्टी दी जाती है ।
यही सब छोटी छोटी खुशियां हमारे लिए याद बनती हैं।