:- सोचिए, फिर बोलिए :-
दोस्तों किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है - "जिस प्रकार पेड़ से पत्ते गिर जाने के बाद उस पत्ते को पेड़ पर पुन: नहीं उठाया जा सकता है, उसी प्रकार जीभ से निकले हुए शब्द पुनः वापस नहीं लाया जा सकता । इसलिए पहले सोचे और फिर बोलो।"
दोस्तों इसी के साथ एक कहानी लेकर आया हूं-:
एक गांव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहा करता था। उसके पड़ोस में एक नौजवान युवक भी रहता था । वह उस युवक को नापसंद करता था। एक दिन गांव में चोरी हुई। बूढ़े व्यक्ति ने अवसर का लाभ उठाते हुए जोर जोर से कहने लगा कि इस युवक ने चोरी की है।
धीरे-धीरे यह बात पूरे गांव में फैलने लगी । गांव वालों ने उस युवक को राजा के सामने पेश किया और राजा ने उसे जेल में बंद करने का आदेश दिया। दो महीने के बाद गांव वालों को पता चला कि चोरी किसी और ने की थी।
युवक जब जेल से बाहर आया तब भी गांव वालों कि दृष्टिकोण उस युवक के प्रति नहीं बदली। वे उसे चोर-चोर कहकर चिढ़ाने लगे। इससे परेशान होकर उस युवक ने उस बूढ़े व्यक्ति को मारने की धमकी दे डाली । बूढ़ा व्यक्ति शिकायत लेकर पंचायत पहुंचा। पंचायत के सरपंच ने पूरी बात सुनी और कहा - "गलती पहले आपसे ही हुई है, दूसरी गलती युवक ने की है। इसलिए दोनों एक दूसरे से क्षमा मांगे।"
युवक ने क्षमा मांग ली। पर बूढ़ा व्यक्ति झगड़ने लगा और कहने लगा कि पूरे गांव में चोर होने के बात मैंने नहीं फैलाई तो फिर मैं क्षमा क्यों मांगू ?
सरपंच ने उस बूढ़े व्यक्ति से कहा- " आप इस कागज में लिख दे जो आपने उस युवक के बारे में कहा था।"बूढ़े व्यक्ति ने तुरंत लिख दिया और फिर वह कागज सरपंच को दे दिया। सरपंच ने उस कागज को फाड़कर उस बूढ़े व्यक्ति को पुनः दे दिया और कहा- " जाते वक्त इसे रास्ते में गिराते जाना । अगले सुबह सरपंच ने उस बूढ़े व्यक्ति से उस कागज के टुकड़े को बटोरने को कहा। बूढ़े व्यक्ति ने वही किया। लेकिन जब वह कागज बटोर लाया तो कागज के टुकड़े बहुत कम थे।
इस पर सरपंचजी ने कहा- "देखा तुमने, जिस प्रकार कागज के टुकड़े हवा के माध्यम से उड़ गए हैं ,उसी प्रकार मुंह से निकले हुए शब्द कहां तक जा सकते हैं इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसलिए कहता हूं - "पहले सोचो, फिर बोलो। "
बूढ़े व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने युवक से क्षमा मांगी।