घमंड मत करो
दोस्तों किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है कि-" तूफान ज्यादा हो तो कश्तियां डूब जाती है, और घमंड ज्यादा हो तो हस्तियां डूब जाती है।
आज मैं एक ऐसी कहानी लेकर आया हूं जो आपको कुछ नया सिखाएगी। आपने हिरण कश्यप और प्रह्लाद की कहानी तो जरूर सुनी होगी। तो आइए आज मेरी कलमों से सुनते हैं।
हरद्रोही नामक एक राज्य था, जिनके राजा हिरण्यकश्यप था।वे देवी-देवताओं से बहुत बैर रखते थे और उनको अपने शक्ति यों पर बहुत ज्यादा घमंड था । उन्हें खुद पर विश्वास था कि उन्हें कोई भी ईश्वर परास्त नहीं कर सकता। इसी कारण वे देवताओं से ईष्या और क्रोध रखते थे। वह अपने राज्य में किसी भी देवी देवता का पूजा नहीं करता था और ना ही अपने राज्य में किसी को पूजा करने देता था।
उसका एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था। वह विष्णु भगवान का बहुत बड़ा उपासक था या कहे भक्त था। वह हमेशा अपने कक्ष में बैठ कर भगवान विष्णु की मूर्ति का पूजा करते रहता था। जब उसके पिता को पता चला कि मेरा पुत्र मेरे सबसे बड़े शत्रु भगवान विष्णु की पूजा करता है, तो उन्हें बहुत क्रोध आया और अपने पुत्र को आज्ञा दी कि- " तुम अब से मेरे दुश्मन विष्णु की पूजा नहीं करोगे। पर प्रह्लाद उनकी आज्ञा को नहीं माना। बहुत दिनों तक समझाने के बाद भी भगवान विष्णु की पूजा करना प्रहलाद ने बंद नहीं किया।
अंत में हिरण्यकश्यप ने निर्णय लिया कि मैं अपने पुत्र को मार डालूंगा। "ना रहेगी बांस, ना बजेगी बांसुरी"..... हिरण्यकश्यप ने अपने सैनिकों को आज्ञा दी कि जाओ मेरे पुत्र को खाई में फेंक दो। सैनिकों ने वही किया, पर भगवान विष्णु ने प्रह्लद को खाई में गिरने से बचा लिया ।
जब प्रहलाद राज्य में वापस लौटा तो हिरण्यकश्यप और सभी सैनिक चौक गए। हिरण्यकश्यप ने उसके बाद निर्णय लिया कि मैं इसे खुद अपने हाथों से मारूंगा। प्रहलाद जब अपने कक्ष में सो रहा था तो हिरण्यकश्यप ने तलवार से उसे मारने की कोशिश की , पर उस वक्त भी वह बच गया।
बहुत कोशिश करने के बाद भी प्रहलाद नहीं मरा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। होलिका को अग्नि में विजय प्राप्ति थी की कोई भी अग्नि उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन से कहा कि मेरे पुत्र को अग्नि में ले जाकर जला दो। होलिका ने वही किया।होलिका प्रह्लाद को लेकर , अग्नि में जाकर बैठ गई। कुछ देर बाद, होलिका स्वयं जल गई। लेकिन प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। अग्नि में बैठने से पहले होलिका को एक आकाशवाणी आई थी कि अगर तुम प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठोगे तो तुम्हें अग्नि जला देगी। पर होलिका को खुद पर बहुत ही ज्यादा घमंड हो गया था और वह अपने भाई की आज्ञा को नहीं टाल सकती थी। यह सब देखकर हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र पर और क्रोध आ गया और उन्होंने सैनिकों को आज्ञा दी की इसे राज्यसभा में बांधकर इसका सर धड़ से अलग कर दिया जाए। प्रह्लाद को राज्यसभा में बांध दिया गया । बांधने के बाद भी प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा मन ही मन कर रहा था। जब उसके पिता उसका सिर काटने आगे बढ़ा तो भगवान विष्णु का अवतार नरसीमा ने उसका सिर काट कर और सीना को फाड़ कर उसे मार डाला। इसी की याद में हम होली को मनाते हैं।।।.....